परिचय:
गर्मियों की छुट्टियों का सही इस्तेमाल हो इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी माता-पिता की बन जाती है। क्योंकि आज के युग में न अभिभावक के पास समय है और न ही बच्चे के पास। चूंकि माता-पिता अपने व्यवसाय/ जॉब में व्यस्त रहते है और बच्चे स्कूल, ट्यूशन और अपनी पढ़ाई में मस्त। गर्मियों की जब छुट्टिया होती है तो सबसे ज्यादा समय माँ-बाप को अपने बच्चों के साथ बिताना चाहिए, यही बच्चों के लिए सबसे उचित तरीका है छुट्टिया बिताने का। आजकल के बच्चे अपने परिवार, समाज और गाँव को भूलते जा रहे है। अगर आप अपने पैतृक गाँव व घर से कही दूर रहते है तो बच्चों को गाव में अपने परिवार के अन्य सदस्यों से मिलवाइए। उन्हे अपने रिश्तेदारों से मिलवाइए , गाव के जीवन को जीने का मौका दीजिए। अपने कार्यों में बच्चों को भागीदार बनाएं कि आप किस तरह का कार्य करते है और किस तरह से मेहनत करके पैसे कमाए जाते है। उन्हे स्वास्थ्य, धर्म, वैदिक परम्पराओ, अपने रीति-रिवाजों और गाँव के लोगों के जीवन के बारे में बताए ताकि आने वाले समय में जब वो वयस्क हो जाए तो उन्हे व्यावहारिक बातों की जानकारी हो।
हम सब अपने जीवन में विध्यायर्थी रहे है और जब वार्षिक परीक्षाएं होती थी तो हमे अगले सत्र की शुरुआत से पूर्व गर्मियों की छुट्टिया होती थी। जब बच्चों को स्कूल से छुट्टिया मिलती है तो बच्चे कितने खुश होते है यह हम सब जानते है क्योंकि हम भी इसी दौर से गुजरे है और हम अपने घर में भी बच्चों को देखते है। हम सबके लिए एक बहुत बड़ा सवाल है की बच्चे आखिर क्यों स्कूल से इतने नाखुश है? जब उनको स्कूल से छुट्टी मिलती है तो उसे बहुत खुशी होती है। इसके पीछे हमारे स्कूल और शिक्षा विभाग की कहीं नाकामी छिपी है। खैर जो भी हो हमारे लिए यह शर्म की बात है। इस विषय पर किसी और आर्टिकल में विस्तृत चर्चा करेंगें।
गर्मियों की छुट्टियाँ- अवसर और चुनौतियाँ:
गर्मियों की छुट्टिया बच्चों के लिए एक बहुत बड़ा अवसर होता है और सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह हर साल आता है। हर साल अपने बच्चे को किसी न किसी नई चीज से रूबरू करवाइए। उसे कोई नया स्किल सिखाइए। अगर आप अपने बच्चों को अच्छी बाते सीखने का मौका दोगे, अच्छे माहौल व लोगों के बीच ले जाओगे तो बच्चों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, तब तो यह उनके लिए किसी अवसर से कम नहीं है।
अगर आप बच्चों को कुछ अच्छे कार्यों में नहीं लगाएंगे तो बच्चे किसी बुरी लत में भी पड़ सकते है क्योंकि बच्चे 45 से 60 दिन के लिए स्कूल से दूर रहते है। वेसे भी कहा जाता है कि “खाली दिमाग शैतान का घर होता है। An empty mind is a devils workshop”। इसलिए इस चुनौती को एक अच्छे अभिभावक के नाते स्वीकार करे और अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य को मद्देनजर रखते हुए उनके लिए अच्छे स्किल्स/ हॉबी के लिए कोई क्लास / कैम्प जॉइन करवाइए या उन्हे अच्छी जगह घुमाने ले जाइए।
नौकरी या प्रशिक्षण:
अपने रोज़गार के क्षेत्र में प्रशिक्षण या नौकरी की तलाश:
अगर आपके बच्चे ने या आपने कक्षा 12th या फिर ग्रैजवैशन/ स्नातक कर ली है तो आप गर्मीयों की छुट्टियों को अपने लिए किसी व्यावसायिक प्रशिक्षण कैम्प को जॉइन कर सकते है। ताकि आप अपनी पढ़ाई समाप्त होने के तुरंत बाद किसी अछे रोजगार में लग जाए। इसके लिए आप स्पोकन इंग्लिश सीख सकते है, कंप्युटर से संबंधित आप कोई कोर्स सीख सकते है, टायपिंग सीख सकते है, योग सीख सकते है, वेबसाईट बनाना, ग्राफिक डिज़ाइनिंग करना, आर्टिकल लिखना, पेंटिंग का कार्य, किसी प्रकार का गेम का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकते है। और यहाँ तक कि मेरी तरह आप ब्लॉग राइटिंग भी शुरू कर सलते है। साथ ही आप अच्छा आर्टिकल लिखना भी सीख सकते है जिससे आप आने वाले समय मे पत्रकारिता, बुक/ कॉलम राइटिंग का कार्य भी कर सकते है।
स्वयं को बेहतर बनाने के लिए व्यक्तिगत विकास कार्यक्रमों में भाग लेना:
आप अपने/बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत सारे स्किल्स सीख सकते है। अपनी भाषा के स्किल को कैसे डिवेलप किया जाए, शुद्ध उच्चारण करना, स्पोकन इंग्लिश, योग व शारीरिक व्यायाम, जिम जॉइन कर सकते है।
स्वस्थ जीवनशैली:
योग, व्यायाम, और ध्यान का महत्व:
कोरोना के बाद दुनिया जितनी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुई है उतनी पहले कभी नहीं थी। यह बात लोगों ने महसूस भी कर ली कि “Health is wealth– स्वास्थ्य ही धन है, बाकी सब मौह – माया है।“ कोरोना के दौर में जब संक्रमण तेजी से फैल रहा तो डॉक्टर्स की तरफ से यही निर्देश दिया जा रहा था की संक्रमित व्यक्ति को अलग से रखा जाए ताकि उससे बाकी लोग संक्रमित नहीं हो जाए। यह दौर, ईमोशनल दौर था जब एक ही घर के लोग चाहते हुए भी अपने को नहीं मिल पा रहे थे। इसलिए लोगों को समझ में आया की स्वास्थ्य ही वो चीज है जो आपके अंतिम क्षणों में भी काम आता है।
स्वस्थ आहार और प्राणी कर्मों का पालन:
हम इस दौरान अपने बच्चों को भोजन संबंधी अच्छी बाते बता सकते है। स्वस्थ भोजन कैसा होता है, भोजन करने का सही तरीका क्या है, भोजन सही से अथवा संतुलित नहीं करने की वजह से कितनी बीमारिया हो सकती है और कितनी बीमारिया भोजन क सीस्टम को सही करके सही की जा सकती है। इसे बहुत सारी बाते है जो हम छूटटियों के दौरान सीख भी सकते है और सीखा सकते है।
सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम:
स्थानीय समुदाय में शामिल होना:
आज का बच्चा एकाकी होता जा रहा है। उसे खुद तक ही रहना अच्छा लग रहा है, वो सोशल मीडिया की दुनिया को अपनी दुनिया समझने लगा है। इसके लिए हमारी यह जिम्मेदारी बनती है की बच्चों को हम हमारे आस-पादौस व बाकी दुनिया से जोड़े। इसके लिए उनको अपने गाव लेकर जाइए। उन्हे अपने परिवार व रिश्तेदारों से कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों से मिलवाइए। आप अपने आसपास में जरुरतमन्द लोगों की मदद करके भी बच्चों को बहुत सारी बाते सीखा सकते है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और कार्यशालाओं में भाग लेना-
जितने भी आपके आसपास सांस्कृतिक कार्यक्रम और कार्यशालाये होती है उसमे बच्चों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करे। इससे बच्चे अपने समाज व संस्कृति क बारे में जानेंगे। अक्सर वो इंसान कभी सफल नहीं होता है जो अपने समाज के रीति-रिवसज, संस्कृति, संस्कार और देशप्रेम क बारे में नहीं जानता है।
पढ़ाई की तैयारी:
अगले अकादमिक वर्ष की तैयारी:
यह भी एक अच्छा विकल्प है की आप अपनी अगली कक्ष की तैयारी में लग जाओ। इस से आप पहले से ही उन चीजों के बारे में ज्ञान अर्जित कर लेंगे जो कक्षा में बाकी सब बच्चों के साथ सिखाया जाएगा। अगर आप पढ़ाई में कमजोर है तो आप अपनी कमजोर विषय की बेसिक चीजों पर छुट्टियों के दौरान काम करके अपने लेवल को अच्छा कर सकते है। यदि आप पहले से ही पढ़ाई में अच्छे है तब भी आप अपने किताबों से बहुत सारी छीजे सीखेंगे जो आपको अपने साथी विद्यार्थियों से काही आगे ले जाएगी।
इसके साथ ही आप अपने कोर्स के अलावा अपनी रूचि के अनुसार की बुक्स का भी अध्ययन कर सकते है। जिससे आपको अपनी अकादमिक विषयों के साथ ही अपने करिअर में भी बहुत हेल्प मिलेगी।
नई विषयों का अध्ययन या अभ्यास:
आप अपने इन्टरिस्ट के मुताबिक कुछ बुक्स का चयन कर सकते है जो आपको काही नया काही हेल्प जरूर करेगी। आप चाहे तो अपने सिलबस के अनुसार हिन्दी, इंग्लिश व संस्कृत अथवा तृतीय भाषा कोई भी की ग्रैमर की अछि बुक को पढ़ सकते है जो आपके अगले कक्ष में भी काम आएगा और इसके साथ अगली कक्षाओ में भी इससे आपको हेल्प मिलेगी।
इसके अलावा आप gk के लिए कोई जनरल नालिज की अछि बुक पढ़ सकते है।
साथी ही आप अंग्रेजी बोलना, सीखने हेतु किसी अछि बुक को पढ़कर प्रैक्टिस कर सकते है। साथ ही कोई अछे लेखक की कहानियों, कविताओ और अच्छे नॉवल को भी पढ़ सकते है। वैसे भी आजकल बच्चे हो या बड़े सब मोबाईल में व्यस्त है। उनका हरेक कार्य मोबाईल पर ही डिपेन्डन्ट हो चुका है। आजकल घरों में किताबों का लाना बंद सा हो गया है। इससे बच्चों में किताबों के प्रति रूचि जागृत होगी और किताबों से पढ़ी हुई कोई भी जानकारी स्थाई होती है।
इससे बच्चों का मोबाईल से भी पीछा छूटेगा।
क्रियाशीलता और रंगमंच:
होबी या इंटरेस्ट्स का पीछा करना: समर वैकैशन के दौरान आप अपनी हॉबी/ रूचि को फॉलो कर सकये हो। रूचि आपकी खेल में हो सकती है, जिम जाने में हो सकती है, योग व प्राणायाम करने में हो सकती है, कराटे सीखने में हो सकती है, गाना-म्यूजिक में हो सकती है। बहुत से इसे क्षेत्र है आजकल, जिसमे भी आपकी रूचि है और आपका थोड़ा बहुत उसमे टैलेंट है आप उसको अगर 1-2 महीने तक अच्छे से सीखने का प्रयास करेंगे तो आपको बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
क्रियाशीलता के लिए शिविर या कोर्स में भाग लेना:
आप इन सब चीजों हेतु विभिन्न प्रकार के शिविर / कार्यशालाएं जॉइन कर सकते हो। आजकल जीतने भी स्कूल होते है वो सामान्यत फ्री ऑफ कोस्ट समर वैकैशन के दौरान इस प्रकार के फ्री में कैम्प आयोजित करते है अथवा कुछ स्कूल वाले नाम मात्र की फीस में आपको अच्छे कोचेस के द्वारे आपको सीखने का अवसर देते है। हालांकि उनका उद्देश्य अपनी पब्लिसिटी करना होता है लेकिन हमे तो अच्छी क्वालिटी की चीज फ्री में अथवा नोमीनल चार्जेस में मिल रही है तो इसमे बुराई क्या है।
अवकाश का मज़ा:
छुट्टियों का मज़ा लेना: आप चाहे तो पूरी छुट्टियों का आनंद अपने घर में अपने माता-पिता और अपने भाई-बहिन के साथ आप आराम से खाते पीते बीटा सकते है। इस दौरान अपनी पसंदीदा कोई मूवी या फिर अच्छी वेबसेरीस/ सीरीअल जैसे रामायण/ महाभारत देख सकते है। अपने खास दोस्तों के साथ घूमकर अपना समय बीटा सकते है। अपने उम्रदराज दादा-दादी की सेवा करके उनका आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते है।
निष्कर्ष:
आप छुट्टियों में हो चाहे करे लेकिन छुट्टियों का भरपूर मजा ले। जितना आप इस खाली व फ्री समय का इस्तेमाल नई छीजे सीखने में करेंगे उतना ही आप आज की बाकी दुनिया से आगे होंगे। इससे भी महत्वपूर्ण यह है की इस भागदौड़ की जिंदगी में, ग्रीशमावकाश का समय आप अपनी रूचि की चीजों को करने में व्यतीत करोगे तो आपको अपनी हॉबबीस को लेकर समय निकल जाने पर कभी इस बात का अफसोस नहीं होगा की कभी मैं मेरी इच्छा की चीजों को नहीं कर पाया। क्योंकि आजकल जो चल रहा है उससे यही लग रहा है की बच्चा सिर्फ नौकरी व पैसे के लिए पढ़ रहा है व बड़ा हो रहा है। अपनी रूचि, टैलेंट का काही कोई स्थान नहीं है।