लू से बचने के
5 उपाय
परिचय:
लू से बचने का उपयुक्त तरीका यही है कि आप धूप में बाहर ना निकलें। दोपहर के 11 से शाम 4-5 बजे तक घरों में रहें। जितना हो सके उतना फ्लुइड (juicy) वाला भोजन करें। जूस, छाछ, लस्सी व पानी का इस्तेमाल करें।
गर्मी के समय में जब तापमान ज्यादा हो जाता है। अमूमन तापमान जब 40 डिग्री से ऊपर रहता है उस समय चलने वाली गर्म हवाओं का नकारात्मक असर शरीर पर तेजी से पड़ता है।
तेज धूप वाली हवाओं से शरीर का प्रभावित होना ही लू लगना है। लू लगने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है। उल्टी व दस्त की भी शिकायत होती है। ‘लू’ के बारे में हम आगे विस्तृत पढ़ते हैं कि लू कैसे लगती है?, लू कब लगती है?, लू क्यों लगती है? और लू से बचाव क्या है?
लू कैसे व क्यों लगती है?:
जब हम गर्मी के समय में खुले में बिना सावधानी के घूमते हैं तो हमारा शरीर सीधा गर्मी की तेज हवाओं के सम्पर्क में आता है। इससे हमारे शरीर के नाजुक अंग जैसे: सिर, मुँह, स्किन (चमड़ी) व नाक प्रभावित होते हैं। इसलिए हमें गर्मियों विशेषकर दोपहर के समय बाहर नहीं जाना है। अगर जाने की जरूरत पड़े तो पर्याप्त मात्रा में पानी/जूस का सेवन करके निकलें व साथ में पानी लेकर जरूर जाएं।
लू-तापघात से बचने के लिए क्या करें?:
- ढीले, पतले एवं सूती वस्त्र पहनकर घर से बाहर निकले ।
- घर से बाहर जाने से पहले ताजा भोजन करे तथा तरल पदार्थ अधिक मात्रा में सेवन करें।
- तरल पदार्थों में नमक का घोल (ओआरएस), छाछ, सिंकजी या ताजा फलों के रस लें।
- सिर, गर्दन एवं कानों को अच्छी तरह सूती कपड़े से ढक कर बाहर निकलें।
- धूप में निकलते समय छाते का उपयोग करें।
लू-तापघात से बचने के लिए क्या न करें?:
- नंगे बदन तेज धूप एवं लू में बाहर न निकलें ।
- खाली पेट घर से बाहर न जायें।
- छोटे बच्चों को अधिक धूप में न ले जायें।
- तेज धूप में अधिक देर तक नहीं रहें।
- प्यास को ज्यादा देर तक न रोकें ।
- चाय, तम्बाकू, शराब, सिगरेट व गुटखा का सेवन न करें और अगर आप इसके आदि हैं तो जितना हो सके इनका सेवन कम कर दें।
लू-तापघात को कैसे पहचाने ?:
- सिरदर्द या सिर का भारीपन होना या चक्कर आना।
- उल्टी होना या जी मिचलना।
- अधिक प्यास लगना।
- तेज बुखार होना।
- बेहोशी जैसी स्थिति होना।
लू-तापघात होने पर प्राथमिक उपचार:
- रोगी को छायादार व हवादार जगह पर लिटावें ।
- वस्त्र ढीले कर दे ।
- तेज बुखार होने पर ठंडे पानी में कपड़ा भिगो कर पूरे शरीर पर लगातार पोछते रहे ।
- थोड़ा-थोड़ा पेय पदार्थ बार-बार पिलाये, यदि ओआरएस का घोल हो तो उसे प्राथमिकता से पिलाये ।
- रोगी को तत्काल नजदीक के अस्पताल में ले जाये ।
निष्कर्ष:
एक मशहूर कहावत है कि “बचाव ही उपाय है।” इसे अंग्रेजी में कहते हैं “prevention better than cure”.
लू/ तापघात से बचने का भी बेहतर तरीका यही है कि अपने जो भी जरूरी कामकाज होते हैं वो कोशिश करें कि सुबह 10-11 बजे तक जब तक सूरज की किरणें बहुत ज्यादा तेज ना हो जाएं, तब तक निपटा लें। बाकी कार्य आप शाम को 4-5 बजे के बाद करें तो बेहतर होगा।
इससे यह होगा कि आपका तेज धूप के साथ कनेक्शन कम होगा। जितना आप धूप व लू की चपेट में कम आएंगे, उतनी ही ज्यादा सम्भावना है कि आपको लू नहीं लगेगी। क्योंकि ज्यादातर तेज गर्म हवाओं/ आंधियों व तेज धूप का प्रकोप सुबह के 10-11 बजे से लेकर शाम के 4-5 बजे तक रहता है।
फिर भी आपको लू लगने जैसी कुछ सम्भावना नजर आ रही है तो आप ऊपर बताए अनुसार अपना घरेलू उपचार करें। ज्यादा जरूरी होने पर आप डॉक्टर से अवश्य मिलें। विशेषकर लू में बच्चों का खयाल जरूर रखें। इससे उनकी स्किन और आंखें कमजोर/ खराब हो सकती है।
राजस्थान में लू/ तापघात का उपचार समस्त सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है। इसलिए जरूरत पड़ने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर परामर्श व इलाज जरूर करवाएं।