परिचय: क्या है ‘सीड बम’ seed bomb?
सीड बम मिट्टी या मिट्टी व गोबर से बनी एक गोलाकर बॉल/गोल ढेला होता है। इसको बनाते वक्त इसमें बीज डाल दिया जाता है और तेज धूप में सुखा दिया जाता है। बारिश के समय में इसको ऐसी जगहों पर फेंक दिया जाता है जहां पेड़ उगाने की जरूरत महसूस होती है।
थार का मरुस्थल:
राजस्थान के थार के मरुस्थल से कौन वाकिफ नहीं है? अथाह फैला सफेद, निर्जन व टीलों का समूह है थार का मरुस्थल। जहां आसपास ना पानी है और ना ही घर। यह मुख्यतः राजस्थान के पाकिस्तान से सटे जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़ व चुरू को मिलाकर बनता है।
थार मरुस्थल भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तरी भाग में एक सूखा व गर्म मरुस्थल है। यह भारत व पाकिस्तान में करीबन 2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस मरुस्थल का करीबन 85% भाग भारत व अन्य क्षेत्र पाकिस्तान में है।
थार के मरुस्थल के पश्चिम में पाकिस्तान में सिंधु नदी से सिंचित क्षेत्र है और इसके विपरीत दक्षिण-पूर्व में अरावली पर्वतमाला है। इसके दक्षिण में गुजरात का कच्छ का रण है। पूर्वोत्तर में पंजाब का नदियों से सिंचित मैदानी भूभाग है। यहां बारिश बहुत ही कम मात्रा में होती है। हालांकि वर्तमान के कुछ वर्षों में वर्षा के आंकड़ों पर नजर डालें तो इसमें सकारात्मक परिवर्तन आया है।
इस मरुस्थल को हरभरा करने में सीड बम (बीज बम) seed bomb का सहारा लिया जा रहा है। इसका चलन बाड़मेर-जैसलमेर के क्षेत्र में भी काफी बढ़ रहा है। विशेषकर आज की युवा पीढ़ी अपने पर्यावरण के प्रति काफी जागरूक हो रही है जो एक सकारात्मक संकेत है।
सीड बम बनाने की विधि:
आप तालाब की चिकनी मिट्टी लें और अगर मिट्टी नहीं है तो आप गाय-भैंस का गौबर भी मिक्स ले सकते हैं। इसके आप गोल-गोल लड्डू टाइप गोले बना सकते हैं। लड्डू का आकार आप क्रिकेट बॉल के आकार से आधा या फिर गोल्फ की बाल जितना अथवा आप निम्बू के आकार जितना भी बना सकते हैं।
सीड बम का गोला बनाते वक्त आप अपनी उंगली को उस गोले में मारकर जगह बना दें ताकि गोले को सुखाने के बाद आप उसमें बीज (seed) भर सको। गोले को आप एक घण्टे के लिए लिए धूप में सुखा लेवें। इसके बाद आप मनचाहे बीज जो मुख्यतः रेगिस्तान में कम पानी में पनप सकने वाले पेड़ों के बीज (जाल, बोरडी या बेर, कूमटिया या हिलार, कंकेडी, कैर, नीम, खेजड़ी व रोहिड़े) लें।
एक-एक बीज को इन गोलों में भरकर ऊपर थोड़ा मिट्टी या गोबर का लेप कर दें। इन गोलों को तेज धूप में सुखा दें और अब आपके ये गोले मरुस्थल में हरियाली का बम फोड़ने के लिए तैयार हैं।
लेकिन एक बात जरूर ध्यान रखना कि गोला बनाते वक्त साथ में ही बीज डालकर गोला मत बनाना। इससे गीली मिट्टी में आपका डाला हुआ बीज अंकुरित होकर उग जाएगा अथवा खराब हो जाएगा।
सीड बम के फायदे:
आप इन गोलों अर्थात seed bomb के माध्यम से आपके आसपास चलते-फिरते बिना अतिरिक्त समय दिए भी हरियाली लाने का काम कर सकते हैं। आप गाड़ी से चल रहे हैं या फिर ट्रैन या स्लीपर बस से यात्रा कर रहे हैं। आप सड़क के किनारे इन सीड बम को झाड़ियों के आसपास फैंक सकते हैं।
आप इन गोलों (seed bomb) को टीलों पर या खेतों के किनारों पर झाड़ियों के आसपास फैंक सकते हो जहां जानवरों का आना जाना कम रहता है। इसके लिए विशेष रूप से गांवों की औरण व गौचर जमीन, सड़क के किनारे काफी उपयुक्त है। जैसे ही बारिश होगी ये गोले पानी से भीग जाएंगे और 2-3 दिन में बीज अंकुरित होकर पौधे का रूप ले लेगा। अगर आप बीज ऐसे ही फेंकोगे तो उगने के चांस कम रहते हैं क्योंकि रेगिस्तानी रेत धूप में तेजी से सूख जाती है।
सारांश:
“इस सीड बम वाले तरीके से आप अपने दुश्मन के खेत में भी हरियाली ला सकते हैं।” इस अंदाज में इस अनोखे तरीके का महत्व बताते हुए, इस अजीब तरीके का प्रचार-प्रसार करने वाले facbook के पेज Thar Desert Photography के एडमिन साहब ने वर्णन किया है।
इस अनोखे अंदाज से थार में हरियाली लाने वाले इस अनोखे तरीके का प्रसार-प्रचार करने वाले एडमिन साहब का भी धन्यवाद। उम्मीद है कि थार का हर वासी अपने आसपास, इस तरीके से कम से कम एक साल में बारिश के समय में 100 गोले (सीड बम) बनाकर इस यज्ञ में आहुति देंगे, ऐसी उम्मीद करते हैं।
आप कम से कम अपने खेत की मेड (कणा) , अपने घर व खेत के आसपास की सड़क के किनारे व आसपास में खाली पड़ी सरकारी जमीन में सीड बम के माध्यम से पेड़ उगाकर हरियाली लाने में अपना योगदान दे सकते हैं।
आज का थार मरुस्थल भविष्य का गंगा-यमुना का मैदानी इलाका बने, इसी भावनाओं के साथ आप से इजाजत लेते हैं और मिलते हैं फिर एक और नए अनोखे अंदाज के साथ, हरियाली के साथ।